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आज फिजाओं में सुंदर खुशबू महसूस किया है मैंने, आज

आज फिजाओं में सुंदर खुशबू महसूस किया है मैंने,
आज वातावरण भी मीठे सुर से सराबोर क्यों है?
मानो आया हो प्रकृति के घर कोई ख़ास मेहमान जैसे,
स्वयं प्रकृति पर आज मेहमान-नवाजी का धुन सवार क्यों है?
मानो लगता है आज एक परी उतर आई हो आसमां से, 
उसके साजो- श्रृंगार हेतु पुष्पों ने अपना न्योछावर किया क्यों है?
दर्ज करानी है मुझे प्रकृति के थाने में प्राथमिकी,
बिल्कुल मेरी मां की भांति ये प्रकृति भी इतने पक्षपाती क्यों है?
पहले तो नहीं देखा था कभी ऐसा मंजर सम्पूर्ण प्रकृति का,
ये खूबसुरत समां आज ही के दिन बनता क्यों है?
मां से अक्सर मैं एक शिकायत जताया करती थी, 
तुम देती हो मुझसे अधिक दुलार दीदी को, तुम्हें उससे विशेष स्नेह क्यों है?
आज वही प्रश्न करना है मुझे इस प्रकृति से, 
उसके जन्मदिवस पर प्रकृति इतना उत्साह मग्न क्यों है?

(जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं दीदी❤️) ये शिकायत कभी नहीं होगी ख़तम,
आखिर छोटी बहन होने का फ़र्ज़ ही तो मैं कर रही हूं पूरा,
जो बिना इन शिकायत के रह ही जाएगा अधूरा.......
दरअसल वो(दीदी) है ही इतनी ख़ास,जिसका जन्मदिवस है आज।
उसके कोमल ह्रदय के सम्मोहन में किसी का भी पड़ना है आम,
फिर वो हमारी मां हो,मैं हूं,प्रकृति हो,या फिर हो कोई और,
उसके व्यक्तित्व का जादू सब पर चुटकी में चढ़ना है मुमकिन,
हां मुझे ज्ञात है....अंदर से मोम की तरह नर्म और चांद के समान शीतल है वो, पर मेरे नखरों पर अपने तेवर का पानी चढ़ाने के लिए दिखाती रहेगी खुद को पत्थर सदृश,
आज फिजाओं में सुंदर खुशबू महसूस किया है मैंने,
आज वातावरण भी मीठे सुर से सराबोर क्यों है?
मानो आया हो प्रकृति के घर कोई ख़ास मेहमान जैसे,
स्वयं प्रकृति पर आज मेहमान-नवाजी का धुन सवार क्यों है?
मानो लगता है आज एक परी उतर आई हो आसमां से, 
उसके साजो- श्रृंगार हेतु पुष्पों ने अपना न्योछावर किया क्यों है?
दर्ज करानी है मुझे प्रकृति के थाने में प्राथमिकी,
बिल्कुल मेरी मां की भांति ये प्रकृति भी इतने पक्षपाती क्यों है?
पहले तो नहीं देखा था कभी ऐसा मंजर सम्पूर्ण प्रकृति का,
ये खूबसुरत समां आज ही के दिन बनता क्यों है?
मां से अक्सर मैं एक शिकायत जताया करती थी, 
तुम देती हो मुझसे अधिक दुलार दीदी को, तुम्हें उससे विशेष स्नेह क्यों है?
आज वही प्रश्न करना है मुझे इस प्रकृति से, 
उसके जन्मदिवस पर प्रकृति इतना उत्साह मग्न क्यों है?

(जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं दीदी❤️) ये शिकायत कभी नहीं होगी ख़तम,
आखिर छोटी बहन होने का फ़र्ज़ ही तो मैं कर रही हूं पूरा,
जो बिना इन शिकायत के रह ही जाएगा अधूरा.......
दरअसल वो(दीदी) है ही इतनी ख़ास,जिसका जन्मदिवस है आज।
उसके कोमल ह्रदय के सम्मोहन में किसी का भी पड़ना है आम,
फिर वो हमारी मां हो,मैं हूं,प्रकृति हो,या फिर हो कोई और,
उसके व्यक्तित्व का जादू सब पर चुटकी में चढ़ना है मुमकिन,
हां मुझे ज्ञात है....अंदर से मोम की तरह नर्म और चांद के समान शीतल है वो, पर मेरे नखरों पर अपने तेवर का पानी चढ़ाने के लिए दिखाती रहेगी खुद को पत्थर सदृश,
rupamjha5990

Rupam Jha

New Creator

ये शिकायत कभी नहीं होगी ख़तम, आखिर छोटी बहन होने का फ़र्ज़ ही तो मैं कर रही हूं पूरा, जो बिना इन शिकायत के रह ही जाएगा अधूरा....... दरअसल वो(दीदी) है ही इतनी ख़ास,जिसका जन्मदिवस है आज। उसके कोमल ह्रदय के सम्मोहन में किसी का भी पड़ना है आम, फिर वो हमारी मां हो,मैं हूं,प्रकृति हो,या फिर हो कोई और, उसके व्यक्तित्व का जादू सब पर चुटकी में चढ़ना है मुमकिन, हां मुझे ज्ञात है....अंदर से मोम की तरह नर्म और चांद के समान शीतल है वो, पर मेरे नखरों पर अपने तेवर का पानी चढ़ाने के लिए दिखाती रहेगी खुद को पत्थर सदृश, #yqdidi #yqhindi #अनवरत #नवरूप #jhapost