दिलों से खेलने का काम हुआ करता था, दिलों को तोड़ने में नाम मशहूर हुआ करता था l बेहिसाब दिए थे ज़ख्म गहरे, टूटे दिलों ने लगा लिए थे नफ़रतों के पहरे l सुकूं सा मिला करता था, दर्द भरी आँखों से जब भी आंसू गिरा करता था l पेशा ये मेरा बन गया पुराना, बिखरे दिल लिए दर दर घूमता फिरता था ज़माना l इक रोज जिंदगी ने मुह के बल पटका, सहन न कर पाया खुद अपने दिल टूटने का झटका l मोल अहसासों का तब पता चला मुझे, मायना जज्बातों का तब पता चला मुझे l आंसुओ की कदर करना खो चुका था मैं, न जाने कितनों की भावनाओ को तोड़ चुका था मैं l अब लगा हूँ उन ज़ख्मी दिलों पर मरहम लगाने में, अब लगा हूँ उन रूठे दिलों को फिर से मनाने में l लतिका शर्मा (गूँज) #टूटेदिल #खेल #मरहम