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बहती नदी के, ​किनारे पर रूकी सी रेत, ​और ...उसमें,

बहती नदी के,
​किनारे पर रूकी सी रेत,
​और ...उसमें,
​चलते पाँवों के,
​डूबते पद्चिन्ह उसके,
​उसकी छनकती,
​पाजेब के दम घोंट रही थी,
उसके ​पाँव के,​
​तलवों मे लिपटी रेत,
​घूमना चाहती है,
​पूरी धरती,
​वो..धरती,
​जो उसके हिस्से,
​मात्र रसोई से बिस्तर तक है, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे 

#किंजल_अक्षिता

बहती नदी के,
​किनारे पर रूकी सी रेत,
​और ...उसमें,
​चलते पाँवों के,
बहती नदी के,
​किनारे पर रूकी सी रेत,
​और ...उसमें,
​चलते पाँवों के,
​डूबते पद्चिन्ह उसके,
​उसकी छनकती,
​पाजेब के दम घोंट रही थी,
उसके ​पाँव के,​
​तलवों मे लिपटी रेत,
​घूमना चाहती है,
​पूरी धरती,
​वो..धरती,
​जो उसके हिस्से,
​मात्र रसोई से बिस्तर तक है, #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे 

#किंजल_अक्षिता

बहती नदी के,
​किनारे पर रूकी सी रेत,
​और ...उसमें,
​चलते पाँवों के,
akalfaaz9449

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