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हमें न जाने किस चीज की तलाश है यह तलाश कभी खत्म न

हमें न जाने किस चीज की तलाश है 
यह तलाश कभी खत्म नहीं होती 
अंदर की छुपी हुई खामोशी 
इस चेहरे से कभी बयां नहीं होती 
बहुत खामोश था मै, लोग पत्थर समझ बैठे हैं तोड़कर टुकड़े मेरे मिट्टी में दफना रहे थे 
कूरेदते हुए मिट्टियों से एक पौधा उग रहा था मैं 
यह जानते हुए की कुचला जाऊंगा, अपनी जड़े मजबूत कर रहा था मैं
ओस सर पर थी, कोहरा छाया हुआ था 
अंधेरों को उजाला करने सूरज आया हुआ था

©Aditya Deepu #Dark #Poetry #poem #writer #Shayari #Music
हमें न जाने किस चीज की तलाश है 
यह तलाश कभी खत्म नहीं होती 
अंदर की छुपी हुई खामोशी 
इस चेहरे से कभी बयां नहीं होती 
बहुत खामोश था मै, लोग पत्थर समझ बैठे हैं तोड़कर टुकड़े मेरे मिट्टी में दफना रहे थे 
कूरेदते हुए मिट्टियों से एक पौधा उग रहा था मैं 
यह जानते हुए की कुचला जाऊंगा, अपनी जड़े मजबूत कर रहा था मैं
ओस सर पर थी, कोहरा छाया हुआ था 
अंधेरों को उजाला करने सूरज आया हुआ था

©Aditya Deepu #Dark #Poetry #poem #writer #Shayari #Music
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Aditya Deepu

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