"आया आया फिर कोई त्यौहार आया लाया लाया खुशियां हजार लाया यह जुमला अब हुआ पुराना बीत गया है वह जमाना अब आया डिजिटल युग है हां भाई यह कलयुग है मोबाइल पर त्यौहार मनाते हैं कपड़े नए सिलाते हैं खूब फोटो खिंचवाते हैं फिर व्हाट्सएप एफबी पर स्टेटस दिखाते हैं दोस्तों के लाइक और कमेंट पाते हैं एक लाइक के लिए खर्चा कितना उठाते हैं कपड़े ज्वेलरी डेकोरेशन का अंबार लगाते हैं दिखावे की दुनिया के रंग में रंग जाते हैं भोलापन और अपनापन गायब से हो जाते हैं प्यार एकता भाईचारा केवल फोटो में दिखाई देता है अपने अंदर का इंसान नहीं सुनाई देता है छोड़ो यह दिखावा यह है बे रंग रंग जाओ अपने ही रंग अपने ही रंग" #दिखावे के त्यौहार