दो मुक्तक माँ भारती के प्रति (1) नित्य अपना सिर झुके माँ भारती की शान में, है छुपी पहचान अपनी देश की पहचान में। प्रेम से गाते सभी जन गीत वंदेमातरम्, बात सचमुच है अनोखी देश के प्रिय गान में।। (2) देश का हर जन सुखी हो चाहती माँ भारती, प्रेममय हर ज़िन्दगी हो चाहती माँ भारती।। देश में छाया अँधेरा मीत! कितने क़िस्म का, आज नूतन रोशनी हो चाहती माँ भारती। ©सतीश तिवारी 'सरस' #दो_मुक्तक