#बेटी/#तारणहार "रब-रसना उच्चरित है बेटी, क्यों फिर जन्म व्यथित है बेटी, गृह अधरों का पावन रव है, गुम लोचन पर स्मित है बेटी, तम हरती उजड़े जंगल का, मरुथल जल सिञ्चित है बेटी, पुरवाई जेठ दुपहरी की सर्दी में लू त्वरित है बेटी, आभा बन मन्दिर आंगन में, भजनों सी मुखरित है बेटी, सुसमय में है जगत तुम्हारा, कुसमय निधि संचित है बेटी, माता के हाथों का मरहम, और पिता का चित है बेटी, चूल्हा, चौका, झाड़ू, बर्तन, क्यों इन तक सीमित है बेटी, धरती, अम्बर, नीर, हवा पर, अब देखो अङ्कित है बेटी, अम्मी, बीवी, जीजी, भाभी, इन खातिर वाञ्छित है बेटी, जग की इच्छा बेटा 'गोविन्द' जग से आतंकित है बेटी।" #चारण_गोविन्द #चारण_गोविन्द #govindkesher #CharanGovindG #बेटी #तारणहार #HappyDaughtersDay2020