सूट बूट पहना, यहाँ हर आदमी बिखमँगा है वही अमीर है, जो सड़कों पे सोता नंगा है यहाँ ग़ैरों से नहीं, अपनों से नज़रें चुराते हैं यही वो शहर है प्यारे, जिसे नगरी बताते हैं रात ख़ामोश सड़कों पर सन्नाटा है जब चाँद इमारतों से, परछाईं बनाता है तब छोटे से बंद कमरे में, लोग नाचते गाते हैं यहीवो शहर है प्यारे, जिसे नगरी बताते हैं यहाँ सपनो का कारोबार बहुत चलता है भरोसे के लिए इश्तेहार बहुत चलता है यहाँ पंछी को भी, पिंजरों में क़ैद करके उड़ाते हैं यही वो शहर है प्यारे, जिसे नगरी बताते हैं हर ग़म को भूलने की है, शराब यहाँ बहुत क़ीमती मिलेंगे तुम्हे नक़ाब यहाँ पाउडर की परत पर,'वत्स' को जाहिल बुलाते हैं यही वो शहर है प्यारे, जिसे नगरी बताते हैं #नगरी #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #hindi #hindipoetry #yqbaba #yqhindi Watch Full video on YouTube 👇 https://youtu.be/1DoMXHj4nVE सूट बूट पहना, यहाँ हर आदमी बिखमँगा है वही अमीर है, जो सड़कों पे सोता नंगा है यहाँ ग़ैरों से नहीं, अपनों से नज़रें चुराते हैं यही वो शहर है प्यारे, जिसे नगरी बताते हैं