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कुछ सुनहरे ख्वाब बुनना चाहती हूँ, वो जो मेरी ख्वाह

कुछ सुनहरे ख्वाब बुनना चाहती हूँ,
वो जो मेरी ख्वाहिशे है, एक बार जीना चाहती हूँ.
मार दिया था तूने कोख में जुल्मी जानवरों के डर से,
मां एक बार फिर तेरी कोख में सांस लेना चाहती हूँ.
गर जो तुने इस बार जना मुझे,
तो बस एक सवाल पूछना है,
क्या मै तेरा खून ना थी, जो नाली में बहाया था मुझे
माना जुल्म जालिमों ने किया तुझपे,
पर क्यों मुझे अपने जिस्म से चीरते 
एक बार भी मेरा ख्याल तलक आया ना तुझे.
याद है मुझे वो  आखिरी रात,
जब बस एक बार तुने प्यार से सहलाया था मुझे
बोली थी, तू नहीं चाहती हर बार की तरह मै भी
हर गली हर घर हर चौराहे पे नोंची जाऊं,
कहीं किसी बाप की गर्दन मै  ना झुकाउं,
 कहीं किसी परिवार की इज्जत ना घटाउं.
मां एक बार फिर तेरी कोख में सांस लेना चाहती हूँ,
कुछ सुनहरे ख्वाब बुनना चाहती हूँ,
वो जो मेरी ख्वाहिशे है एक बार जीना चाहती हूँ.
आने दे माँ  मुझे खुलके सांस तो लेने दे,
एक बार अपने सीने से मुझे तेरी खुशबू तो आनेे दे,
ह़क दुध का ना अदा कर दिया तो कहना
तेरा सर गुमान से ना उठा दिया तो कहना.
माँ बस एक बार फिर तेरी कोख में सांस लेना चाहती हूँ,
आने दे माँ,  मुझे खुलके सांस लेने दे.
माँ बस एक बार फिर तेरी कोख में सांस लेना चाहती हूँ| #ragingpoetry
कुछ सुनहरे ख्वाब बुनना चाहती हूँ,
वो जो मेरी ख्वाहिशे है, एक बार जीना चाहती हूँ.
मार दिया था तूने कोख में जुल्मी जानवरों के डर से,
मां एक बार फिर तेरी कोख में सांस लेना चाहती हूँ.
गर जो तुने इस बार जना मुझे,
तो बस एक सवाल पूछना है,
क्या मै तेरा खून ना थी, जो नाली में बहाया था मुझे
माना जुल्म जालिमों ने किया तुझपे,
पर क्यों मुझे अपने जिस्म से चीरते 
एक बार भी मेरा ख्याल तलक आया ना तुझे.
याद है मुझे वो  आखिरी रात,
जब बस एक बार तुने प्यार से सहलाया था मुझे
बोली थी, तू नहीं चाहती हर बार की तरह मै भी
हर गली हर घर हर चौराहे पे नोंची जाऊं,
कहीं किसी बाप की गर्दन मै  ना झुकाउं,
 कहीं किसी परिवार की इज्जत ना घटाउं.
मां एक बार फिर तेरी कोख में सांस लेना चाहती हूँ,
कुछ सुनहरे ख्वाब बुनना चाहती हूँ,
वो जो मेरी ख्वाहिशे है एक बार जीना चाहती हूँ.
आने दे माँ  मुझे खुलके सांस तो लेने दे,
एक बार अपने सीने से मुझे तेरी खुशबू तो आनेे दे,
ह़क दुध का ना अदा कर दिया तो कहना
तेरा सर गुमान से ना उठा दिया तो कहना.
माँ बस एक बार फिर तेरी कोख में सांस लेना चाहती हूँ,
आने दे माँ,  मुझे खुलके सांस लेने दे.
माँ बस एक बार फिर तेरी कोख में सांस लेना चाहती हूँ| #ragingpoetry