।।साम्प्रदायिकता।। साम्प्रदायिकता के बीज बो कर व्यवस्था चाहिये जिसे... वैमनस्यता की आग में कुर्सी चाहिये जिसे... ये हर धर्म समाज की धरती है, राष्ट्र नीति की जननी है.... ये व्यवस्था परिवर्तन की पृष्ठभूमि है, लक्ष्यित शासन की कहानी है... भेदभाव करते हुए राजनीति चाहिये जिसे... ऐसे लोंगो से क्यों न मुक्ति चाहिये हमें... छात्र मजदूर नौजवान किसान, जब अपना हक दोहरायेंगें... अशिक्षा बेरोजगारी गरीबी भुखमरी, से निजात दिलवायेंगें... ये समय हमारा उनका होगा, जो गैर बराबरी माँगेंगें.... समय समानता और सत्ता में तब अपना हिस्सा चाहेंगें... आवाज को कुचलकर, रास्ते को रोककर, वाहवाही चाहिये जिसे... संघर्ष से सवाल, चाटुकारिता को जवाब, भूमिका चाहिये जिसे... ऐसे नीच कायरों से आजादी चाहिये हमें... ----पंडित सौमित्र तिवारी साम्प्रदायिकता की आग से मुक्ति चाहिये हमें....