जुबां ख़ामोश थी उससे शिकायत कैसे करते हम वो जो हासिल नही था उसकी चाहत कैसे करते हम, जतन हमने हज़ारों कर दिए उसके लिए दिलसे खुदा रूठा हुआ था तो इबादत कैसे करते हम, अगर हो एक तरफ़ा हो उसे उल्फत नहीं कहते जो चाहत एक तरफ़ा थी मोहब्बत कैसे करते हम, सुना है चीज़ गैरों की आएगी काम ना अपने किसी भी गैर की दौलत की हसरत कैसे करते हम, उसे हमसे नहीं था उस वक़्त तक कोई भी मतलब जो ना था सामने उसकी हिफ़ाज़त कैसे करते हम, था ये इल्ज़ाम कि हमने हक़ीक़त बोल दी 'सननी' वो बस्ती जहिलों की थी शराफ़त कैसे करते हम ।। ©ᴋʜᴀɴ ꜱᴀʜᴀʙ #मोहब्बत_कैसे_करते_हम... love poetry in hindi hindi poetry on life poetry quotes