(आरम्भ से अनंत) मैं आरम्भ हूँ एक अनंत सा मूल के शक्ति खण्ड सा अथक और अखण्ड हूँ क्षितिज के प्रतिबिंब सा मैं आरम्भ हूँ एक अनंत सा आरती के प्रसंग सा वेगों से मैं बंधता नही सूर्य से प्रचंड सा मैं आरम्भ हूँ एक अनंत सा ध्यान के स्पर्श सा शून्य सा विचार हूँ बुद्ध के विमर्श सा...... ©AD Rao # आ......अ #आरंभ से अनंत