मुझे मालूम है ये तेरा दिखावा भी आखिरी साज़िश का हिस्सा है! ख़ैर मैंने तुझे वहम में रखा कि मैं तुझपे यकीन कर रहा हूँ! वक़्त तुम्हारा है तो साजिशों में जाया करो, मुझपे या खुदपे सब मंजूर है मुझे ये मैं कोई शिकायत नहीं कर रहा हूँ! इन नफरतों से हासिल क्या होगा मिट्टी का तन है जल जायेगा ये बात सच है तो जुबां पर आ गई ये कोई हिदायत नहीं कर रहा हूँ! ©बृजेन्द्र 'बावरा' मुझे मालूम है ये तेरा दिखावा भी आखिरी साज़िश का हिस्सा है! ख़ैर मैंने तुझे वहम में रखा कि मैं तुझपे यकीन कर रहा हूँ! वक़्त तुम्हारा है तो साजिशों में जाया करो, मुझपे या खुदपे सब मंजूर है मुझे ये मैं