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अगर यादों के कोई किनारे होते तो वो झील बन जाती और

अगर यादों के कोई किनारे होते
तो वो झील बन जाती
और किसी रात 
चुपचाप 
नंगे पैरों से चल कर 
कॉफी के कप से उठती भाप में 
अपना अक़्स तलाशती 

यादें 
जो पेपर टिशू से पोछ कर 
तुम मेज पर छोड़ कर चली गई 

पेपर टिशू जिसे सीने से लगा कर 
मैंने
ताबीज़ बना लिया 

अब ख़ामोशी को कहने दो @  ताबीज़

©Mo k sh K an #mikyupikyu 
#mokshkan 
#अब_ख़ामोशी_को_कहने_दो
अगर यादों के कोई किनारे होते
तो वो झील बन जाती
और किसी रात 
चुपचाप 
नंगे पैरों से चल कर 
कॉफी के कप से उठती भाप में 
अपना अक़्स तलाशती 

यादें 
जो पेपर टिशू से पोछ कर 
तुम मेज पर छोड़ कर चली गई 

पेपर टिशू जिसे सीने से लगा कर 
मैंने
ताबीज़ बना लिया 

अब ख़ामोशी को कहने दो @  ताबीज़

©Mo k sh K an #mikyupikyu 
#mokshkan 
#अब_ख़ामोशी_को_कहने_दो
shonaspeaks4607

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