--दर्द वाला इश्क़-- मुक़द्दर आजमाया न जाएगा अब कहीं, ये दिल लगाया न जाएगा अब कहीं। यक़ीन का आख़िरी दरख़्त भी गिर गया, प्यार का फूल खिलाया न जाएगा अब कहीं। हुस्न,बदन,जलवा,अदाएँ रखलो महजबीनों, राब्ता ए-इश्क़ बनाया न जाएगा अब कहीं। तन्हा हूँ अकेला हूँ साथ बेशक कोई नही, साथ के लिए हाँथ फैलाया न जाएगा अब कहीं। मतलब परस्त मोहोब्बतों से दूर रहेंगे अब, मुनासिब है धोखा खाया न जाएगा अब कहीं। ©V.k.Viraz #दर्द #यादें #मोहोब्बत #सबक