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यार कॉमरेड, पता नहीं क्यूं आज तुम्हारी याद आ गई।शा

यार कॉमरेड,
पता नहीं क्यूं आज तुम्हारी याद आ गई।शायद भूलना याद रखने से ज्यादा कठिन होता है।मैंने तुम्हारी तस्वीरों और तुम्हारे दिए खतों को बहा दिया है गंगा में। शायद हम जैसे दो विपरीत ध्रुवों को मिलाने  के ,उनके  द्वारा किए गए पाप धूल जाए।लेकिन सच कहूं यार हम विपरीत ध्रुवों से जरूर थे लेकिन एक आकर्षण बल जरूर था हमारे दर्मियान, जो हमें एक दूसरे से करीब लाता था।अंग्रेजी के ट्यूशन की पहली मुलाकात से लेकर चौराहे पर हमारी नज़रों का एक दूसरे से मिलकर बंट जाने तक, मैंने तुम्हारे संग मेरे जीवन के बेहतरीन पलो को जिया था।हमारे बीच ये अच्छा था कि हमने कभी कोई वादे नहीं किए।हां कुछ सपने जरूर देखे थे।वो सपने जिनका सच होना मेरे लिए सपनों  की तरह होगा।सपने तो तुम्हारे भी थे ना।बहुत दूर जाने के।खुद का नाम बनाने के और एक सेल्फ डिपेंडेंट लड़की बनने के।तुम्हारे इंन सपनों के बीच में खड़ा था मैं अपने सपनों की कुर्बानी देने के लिए।क्युकी तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान मेरा पहला और आखिरी सपना था और तुम्हे भूलना आज भी मेरी आखिरी ख्वाहिश।....#जलज कुमार

©JALAJ KUMAR RATHOUR यार कॉमरेड,
पता नहीं क्यूं आज तुम्हारी याद आ गई।शायद भूलना याद रखने से ज्यादा कठिन होता है।मैंने तुम्हारी तस्वीरों और तुम्हारे दिए खतों को बहा दिया है गंगा में। शायद हम जैसे दो विपरीत ध्रुवों को मिलाने  के ,उनके  द्वारा किए गए पाप धूल जाए।लेकिन सच कहूं यार हम विपरीत ध्रुवों से जरूर थे लेकिन एक आकर्षण बल जरूर था हमारे दर्मियान, जो हमें एक दूसरे से करीब लाता था।अंग्रेजी के ट्यूशन की पहली मुलाकात से लेकर चौराहे पर हमारी नज़रों का एक दूसरे से मिलकर बंट जाने तक, मैंने तुम्हारे संग मेरे जीवन के बेहतरीन पलो को जिया था।हमारे बीच ये अच्छा था कि हमने कभी कोई वादे नहीं किए।हां कुछ सपने जरूर देखे थे।वो सपने जिनका सच होना मेरे लिए सपनों  की तरह होगा।सपने तो तुम्हारे भी थे ना।बहुत दूर जाने के।खुद का नाम बनाने के और एक सेल्फ डिपेंडेंट लड़की बनने के।तुम्हारे इंन सपनों के बीच में खड़ा था मैं अपने सपनों की कुर्बानी देने के लिए।क्युकी तुम्हारे चेहरे पर मुस्कान मेरा पहला और आखिरी सपना था और तुम्हे भूलना आज भी मेरी आखिरी ख्वाहिश।....#जलज कुमार
यार कॉमरेड,
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©JALAJ KUMAR RATHOUR यार कॉमरेड,
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