इन हवाओं ने फिर माहौल गर्मा दिया है मिरे इस शहर की माटी को सुलगा दिया है मर रही रोज़ ग़ैरत क्या कहूँ ए ख़ुदा मैं कैसा मंजर ये तूने रूबरू ला दिया है ©Harish Chander #Blackboard