उसी पर चांद है बादल उसी पे पानी है मेरा जमीन से रिश्ता भी आसमानी है... वो एक शख्स है काहिल मगर है दौलतमंद भी किसी किसी पे खुदा की भी मेहरबानी है.... रखेगा किस तरह आखिर मुझे छुपाये हुए मैं जानता हूं कि खुसबू वो जाफरानी है... शहर का रंग जो देखा तो फिर पता ये चला ये सारी चीज सियासत में खानदानी है..... कभी भी तुम मेरी तन्हाईयो पे मत रोना जो तुम नहीं तो मेरे घर में रात रानी है मुझे खबर है नहीं ये किसी के होते हैं बड़े बड़े से जो रिश्ता हैं दरमियानी है... किसी से प्यार के रिश्ते कभी नहीं मरते ये जिंदगी तो बहरकैफ आनी जानी है... ....खुसबू वो जाफ़रानी है उसी पर चांद है बादल उसी पे पानी है मेरा जमीन से रिश्ता भी आसमानी है... वो एक शख्स है काहिल मगर है दौलतमंद भी किसी किसी पे खुदा की भी मेहरबानी है.... रखेगा किस तरह आखिर मुझे छुपाये हुए मैं जानता हूं कि खुसबू वो जाफरानी है...