मां तेरी चूड़ी की खनक और पायल की छन-छन गूंज उठे जब आंगन में मानो जैसे बरस रहा हो मेघ मेरे घर सावन में मां तेरे हाथों का राज़ बताए खाने की मिठास घुलकर मेरे लहज़े में अलग कर दे मेरा अंदाज़ मां तुम सबसे सुंदर हो पर जब करती हो श्रृंगार टिक जाती नज़रें मेरी मैं देखूं तुमको बार बार पर मां जब गुस्से में तुम एक झपकी में मान जाती हो और लफ्ज़ों से कुछ न कहके बस धीरे से मुस्काती हो मां तेरी मुस्कान पे तब ये दुनिया फ़ीकी लगती है हां मां तेरी नज़र उतारूं तु जो इतनी अच्छी लगती है #मां_तेरा_कोई_मोल_नही