आशाएं खोई खुशियों के मिल जाने की पतझड़ में कलियों के खिल जाने की। आशाएं पिंजरा तोड़ के उड़ जाने की परिंदों के वापस घर लौट आने की। आशाएं नये वक़्त की नये ज़माने की भीगे सावन में गीत प्रेम के गाने की। आशाएं फिर से बच्चा बन जाने की पानी में काग़ज़ की नांव चलाने की। आशाएं थोड़े से ही ख़ुश हो जाने की पल में रूठ जाने पल में मान जाने की। आशाएं प्यार से हाथ आगे बढ़ाने की दुश्मनी छोड़ कर नये दोस्त बनाने की। आशाएं खोई खुशियों के मिल जाने की पतझड़ में कलियों के खिल जाने की। ©Roohi Quadri #आशाएँ #posotivity #Hope