गुमराह तो नहीं में । तो फिर जाने ये कैसी तलाश है? सुकून भरे कुछ सांस का मुझको क्यों हर पल आस है ? आधा टुकड़ा लिए रूह का में पलके भिगोया करती हूं। टूटते सांस को थाम कर सपनों के बीज बोया करती हूं। टूट कर बिखर गए फिर भी जोड़ रखे कुछ आस है। सुकून भरे कुछ सांस का मुझको क्यों हर पल तलाश है? मुझको क्यों हरपल तलाश है? पिंकी ©pinky #सेड_सायरी #इंतजार