Nojoto: Largest Storytelling Platform

अब धूप लगती है पहले इसी मे घर से निकला जाता था जो

अब धूप लगती है
पहले इसी मे घर से निकला जाता था
जो चुभती है जो पसीना बनके
 पहले इसी पसीने में नहाया जाता था 
सिर्फ डर होता था बड़ों का 
और कोई कमजोरी नहीं थी 
कोई रोक सके हमें बाहर जाने से
 ऐसी कोई पक्की डोरी नहीं थी 
उस बचपन की परछाइयों में 
मै झूम जाता हूं 
आया हैं जो तनाव जीवन में 
सब भूल जाता हूं 
फिर याद आता है कि वह दिन अब वापस नहीं आने 
केसे निकलेगी यह जिंदगी अब तो बस राम ही जाने

©Rahul Panghal #वे दिन Jay Karthik Vivek Kumar Akash shri vastav Sarah Moses  Riya Soni  Ruchi Rathore
अब धूप लगती है
पहले इसी मे घर से निकला जाता था
जो चुभती है जो पसीना बनके
 पहले इसी पसीने में नहाया जाता था 
सिर्फ डर होता था बड़ों का 
और कोई कमजोरी नहीं थी 
कोई रोक सके हमें बाहर जाने से
 ऐसी कोई पक्की डोरी नहीं थी 
उस बचपन की परछाइयों में 
मै झूम जाता हूं 
आया हैं जो तनाव जीवन में 
सब भूल जाता हूं 
फिर याद आता है कि वह दिन अब वापस नहीं आने 
केसे निकलेगी यह जिंदगी अब तो बस राम ही जाने

©Rahul Panghal #वे दिन Jay Karthik Vivek Kumar Akash shri vastav Sarah Moses  Riya Soni  Ruchi Rathore