मुमकिन नहीं साथ तो हम प्यार कुछ इस तरह निभाएंगे, रात को हम वस्ल की चाह में दोनों छत पर आ जाएंगे, तुम चांद को निहारना, मुझे छवि तुम्हारी नज़र आएगी, हमारी खामोश मोहब्बत का पैगाम हवाएं दे जाएंगी, काली स्याह रातों में नींद भी अखीयों से बैर निभाएगी, तुम बनके सुकूं , श्वास बन जाना, जब मैं स्वर गाऊंगी, रूहों के मिलन की बेला में महफिल-ए-अंजुम सजाएगी, निसाब-ए-जीस्त में नाम तेरा,दुनिया क्या जुदा कर पाएगी, बिना तेरे ख़ला सी जिंदगी,जुदाई फ़लक तक कोहराम मचाएगी, शब-ए-फ़िराक में काएनात भी हमारी मोहब्बत पर आंसू बहाएगी। ♥️ Challenge-531 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।