अंदर की उदासी को पढ़ने को कोशिश करते, तो कभी शब्दों के शोर से परेशानी न होती।। तुम समझते कभी मेरी खामोशी को तो यूं लिख लिखकर बतानी ना होती ।। चिढ़ने लगे थे तुम मेरी आवाज से , अगर सुन लेते एक बार तो मुझे बार बार चिल्लानी न होती!! चलाना होता अगर रिश्ता तुमको तो चलाते अब भी, बताते थे हर बात ..तो इस बार छुपानी न होती । हर बार संभाला साथ दिया तेरे खुशी के लिए खामोश भी हो गई , एक बार समझ लेते संभाल लेते तुम ,तो मेहरबानी होती।।🥺🥺 ये शब्दों के भाव वही लोग समझेंगे जिन्होंने कभी किसी एक को बहुत प्रेम किया हो और अचानक वो शख़्स छोड़ कर चला गया हो।। कुछ मन की अधूरी बाते और शिकायते और अधूरा प्रेम।। Use my # for testimonial ❤️❤️