किसी रोज़ छॉंव की तलाश में पेड़ जो कट गया तो फिर, पाने को छाव सी सिर. बन जाएगा तू फ़क़ीर, बन जाएगा तू फ़क़ीर. बहाएगा आखों से नीर, उठेगा जो दिल में पीर. चलेगा तू हर मोड़ पर गिर, बन जाएगा तू फ़क़ीर, बन जाएगा तू फ़क़ीर..... बन जाएगा तू फ़क़ीर.....