भूख मिटाने के लिये रोटियां सब की जरूरत होती है। कोई मेहनत करके पाता है दो जून की रोटी, तो कोई मेहनत करने वालों की पेट काटकर हासिल करता है हजारों दो जून की रोटी की कीमत इसी अंतर को किताबों में नौकर-मालिक, गरीब-अमीर, और मजदूर और पूँजीपति कहा जाता है। लेकिन किताबों तक न पहुँचने वाला इंसान इस किताब की भाषा कैसे समझे? ©JP Hans #do_june_ki_roti #JP_Hans #majdoor #stay_home_stay_safe