हम तो सजदों मे ही रहे ताउम्र मुस्ससल खुदा सी तासीर उनकी फकत एक दीद की खातिर जिदगी गुजारनी पडेगी,,,"गुजार दी गई "... बस वक्त के मेहरबान होने से पहले आप मेहमान ना हो जाना