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नवप्रभा नवरंजन खोले,खोले मोद प्रमोद का सु-प्रेम बन

नवप्रभा नवरंजन खोले,खोले मोद प्रमोद का सु-प्रेम बन्धन रे,
मधुर मधुरिमा का माधुर्य खिल गए ऐसे जैसे पुष्प सहजन के,

सजी सुनहली सजनी का रूप लब्ध क्षितिज भी निहार वो रहा,
नयनों में स्वप्न को सजा विरहबेला से प्रियतम को पुकार वो रहा,

वन-विटप-कानन से निकल वो प्रियवर संग मिलन होने वाला है,
नैसर्गिकता के सौंदर्यीकरण से जन्म बन्धन ये बंधने आज वाला है,

एकटक वो निहार रही देखो री सखियों प्रियवर मेरा आने वाला है,
कोमलांगी हृदय  वाली उस विरहणी का विरह मिटने वाला है।।। ♥️ Challenge-730 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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नवप्रभा नवरंजन खोले,खोले मोद प्रमोद का सु-प्रेम बन्धन रे,
मधुर मधुरिमा का माधुर्य खिल गए ऐसे जैसे पुष्प सहजन के,

सजी सुनहली सजनी का रूप लब्ध क्षितिज भी निहार वो रहा,
नयनों में स्वप्न को सजा विरहबेला से प्रियतम को पुकार वो रहा,

वन-विटप-कानन से निकल वो प्रियवर संग मिलन होने वाला है,
नैसर्गिकता के सौंदर्यीकरण से जन्म बन्धन ये बंधने आज वाला है,

एकटक वो निहार रही देखो री सखियों प्रियवर मेरा आने वाला है,
कोमलांगी हृदय  वाली उस विरहणी का विरह मिटने वाला है।।। ♥️ Challenge-730 #collabwithकोराकाग़ज़ 

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