27. महारथी की दुविधा : महाभारत नारियों की भाँति शिविर में है कौन ठहरा! कौन है जो दे रहा है आठों पहर पहरा!! किस महारथी को है युद्ध से विश्राम मिला! किसे रहा है जीवन पर्यंत नियति से गिला!! कौन है जो युद्ध के लिए प्रतीक्षा में लीन है! आखिर किसका हृदय प्रार्थना से मलिन है!! वास्तव में यह अंगराज की ही कथा है, कर्ण से बढ़कर भला किसकी व्यथा है! भीष्म के गिरने की प्रतीक्षा जिसे करनी पड़े, इच्छा मृत्यु से जिसे क्षण-क्षण लड़ना पड़े। जिसका हस्त मित्र की सहायता में उठता नहीं है, पितामह का शीश है कि गिराए गिरता ही नहीं है। नियति पर कर्ण के बाण कैसे चलेंगे! प्रतीक्षा के क्षण न अब काटे से कटेंगे!! महाभारत का युद्ध शुरू हो गया है और महारथी कर्ण को पितामाह भीष्म के छत्र तले युद्ध करने की अनुमति नहीं है। जब तक कि इच्छा मृत्यु का कवच ओढ़ें गंगा पुत्र रण भूमि में हैं। #yqmaharthikarn #yqsaumitr #yqpratiksha #yqmahabharata #yqkaran