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बिगडे मुकदर बन जाते है जो तेरे दर पे आते है आहट से

बिगडे मुकदर बन जाते है
जो तेरे दर पे आते है
आहट से पहचाने जाते है 
जो तेरी रहिमत पाते है नूर ए इल्लही
बिगडे मुकदर बन जाते है
जो तेरे दर पे आते है
आहट से पहचाने जाते है 
जो तेरी रहिमत पाते है नूर ए इल्लही