कुछ तो अलग था उस दिन में ... जब तुम पहेली बार दिखे थे ! समय तो रोज़ का था , पर सही मेरे लिए हवा भी चल रही थी , पर ठंडी मेरे लिए आवाज़ तो बहुत आ रही थी , पर तुम्हारी सिर्फ मेरे लिए आंखे तो सबकी घूम थी , पर मेरी तुम्हारे लिए पहेली दफा तो में उस जगह ना गया था .... पर सब नया था मेरे लिए , दिल की धड़कन सुनाई तो रोज़ देती थी .. पर इतनी तेज़ सिर्फ उस दिन , बात तो में सबसे करता था .. पर शान्त था उस दिन , ना जाने ये सब बदला था , या मैं नींद में था ? पर सपने तो अब रोज आते है ... और ना जाने उस दिन की क्यों याद दिलाते है , ना जाने , अब वे - वजह क्यों मुस्कुराता रहेता हूं , और हर शक्ल में वो चेहरा ढूंढता फिरता हूं ! उस दिन में कुछ अलग था !