ख़्वाहिश दिल की कहाँ मुक़म्मल होती है कुछ हसरतों की ख़लिश मुसलसल होती है। कह दूँ वो बात जो आज ज़िक्र में आ गई है जिसका ख़्वाब भी ना आया वही भा गई है..! दिन ढलते सोना, कभी-कभी रात रतजगे में ढलती है, दिल की नादानियाँ, अक्सर जो सबसे अव्वल होती हैं! दिल की बदमाशियाँ इस तरह मुसलसल होती हैं, मुक़द्दर के तेज़ हैं जिनकी ख़्वाहिश मुक़म्मल होती हैं। ♥️ Challenge-569 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।