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आदमी पेशे से अकाउंटेट हीं क्यों न हो पर अपनी पत्नी

आदमी पेशे से अकाउंटेट हीं क्यों न हो पर अपनी पत्नी की एकाउंटिंग के आगे उसकी एक नहीं चलती!
कैसे? तो चलिए देखते हैं
In CAPTION पत्नी:- मुझे ₹1000 की सख्त जरूरत है, घर का कुछ सामान मंगाना है

पति:- अभी कल शाम हीं तो 500 दिए थें और फिर अभी सुबह-सुबह, भाग्यवान ! कुछ तो रहम करो, टपोरी भी हफ्ता, हफ्ते में एक बार हीं लेता हैं

पत्नी:- वो सब मुझे नहीं पता, कल के पैसे कल हीं खर्च हो गएं, 120 का तेल मंगाया, 45 का दूध और 40 के कद्दू ले लिये। सब्जियां कितनी महँगी हो गई हैं, तुम क्या जानो! घर चलाना कितना मुश्किल हो गया है मेरे लिए, तुम्हें तो कुछ अक्ल है नहीं.. और तो और तुम ज़रा भी cooperate नहीं करते, गिला टॉवल भी बिस्तर पर हीं छोड़ जाते हो, सबकुछ  मुझे हीं देखना पड़ता है, घर-बच्चे-तुम्हें सब, सुबह से शाम पैरों में चक्के लगे रहते हैं। कभी-कभी सोंचती हूँ, तुमसे शादी करके मैंने अपनी पैरों में घोड़े की नाल ठुकवा ली हैं।
मैं अकेली जान और इतना सारा काम...... 

पति:- बटुआ उधर है।
आदमी पेशे से अकाउंटेट हीं क्यों न हो पर अपनी पत्नी की एकाउंटिंग के आगे उसकी एक नहीं चलती!
कैसे? तो चलिए देखते हैं
In CAPTION पत्नी:- मुझे ₹1000 की सख्त जरूरत है, घर का कुछ सामान मंगाना है

पति:- अभी कल शाम हीं तो 500 दिए थें और फिर अभी सुबह-सुबह, भाग्यवान ! कुछ तो रहम करो, टपोरी भी हफ्ता, हफ्ते में एक बार हीं लेता हैं

पत्नी:- वो सब मुझे नहीं पता, कल के पैसे कल हीं खर्च हो गएं, 120 का तेल मंगाया, 45 का दूध और 40 के कद्दू ले लिये। सब्जियां कितनी महँगी हो गई हैं, तुम क्या जानो! घर चलाना कितना मुश्किल हो गया है मेरे लिए, तुम्हें तो कुछ अक्ल है नहीं.. और तो और तुम ज़रा भी cooperate नहीं करते, गिला टॉवल भी बिस्तर पर हीं छोड़ जाते हो, सबकुछ  मुझे हीं देखना पड़ता है, घर-बच्चे-तुम्हें सब, सुबह से शाम पैरों में चक्के लगे रहते हैं। कभी-कभी सोंचती हूँ, तुमसे शादी करके मैंने अपनी पैरों में घोड़े की नाल ठुकवा ली हैं।
मैं अकेली जान और इतना सारा काम...... 

पति:- बटुआ उधर है।
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