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आकर फिर रुखसत हो जाना, मनमोह

आकर फिर रुखसत हो जाना, 
                     मनमोहक उसका छल है।
बादल बिच चांद निकल कर ज्यों, 
                  छुप जाता फिर, अगले पल है।
उसका दिख जाना ही उर का, 
                      प्रकाश पुंज संबल अथाह,
दीदार हुआ ना कुछ पल जो, 
                  लगता विहीन जीवन  जल है।
अरुण शुक्ल  "अर्जुन"
प्रयागराज #किस्मत  VARSHA KUSHWAH PRASHANT PANDEY  Jagadish Kumawat Manish Sharma Neelesh Mishra  Neelesh Mishra
आकर फिर रुखसत हो जाना, 
                     मनमोहक उसका छल है।
बादल बिच चांद निकल कर ज्यों, 
                  छुप जाता फिर, अगले पल है।
उसका दिख जाना ही उर का, 
                      प्रकाश पुंज संबल अथाह,
दीदार हुआ ना कुछ पल जो, 
                  लगता विहीन जीवन  जल है।
अरुण शुक्ल  "अर्जुन"
प्रयागराज #किस्मत  VARSHA KUSHWAH PRASHANT PANDEY  Jagadish Kumawat Manish Sharma Neelesh Mishra  Neelesh Mishra