माना आज तू बिखरा है एक रोज तु नीखरेगा ही ढला है आज जो सूरज कल सुबह फिर निकलेगा ही माना तेरी मंजिलें इन लोहो की जंजीरों में है पर जब तू तपेगा तो तेरी तपन से ये लोहा भी पिघलेगा ही माना मंजिलों के रास्ते में कांटे तो सभी के है पर तेरे अंदर जुनून है ,तो तू कांटों पर चलेगा ही हवाएं विपरीत ही क्यों ना चले तू कदम कदम बढ़ेगा ही तुझे कल के लिए है तैयार होना तो आज गिरेगा ही तेरी कोशिश देख हवाओं का रुख एक रोज तो बदलेगा ही Written By @Neeraj Sir YouTube: Motivational Point