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लंबा सफर, कैसे चलूं, मंजिल - ए -जिंदगी । थका हारा

लंबा सफर, कैसे चलूं, 
मंजिल - ए -जिंदगी ।
थका हारा,  दिखे नहीं,  
मक़ाम - ए - बंदगी ।।
भूल जाऊ, वक्त क्या
फ़िक्र में बीते, शाम सभी ।
फिर चलूं, उम्मीद लिये
बेफिक्र हो, मेरी शाम कभी ।।

©गणेश चौधरी "बेफिक्र"
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