जिस-जिसका साथ चाहा, साथ न मिला, पकड़ना चाहा हाथ, वो भी छूटता चला गया, तो अफ़सोस किस बात का है? इस बात का, कि क्या कुछ पीछे छूट गया या तुम बहुत आगे निकल गए? अरे प्यारे! ये जिंदगी तो एक खाली गाड़ी की तरह है, लोग आते है फ़िर मोल चुकाकर चले जाते है, ठीक उसी तरह जैसे गाड़ी उनके लिए नहीं रूकती और आगे बढ़ जाती है, वैसे ही हमारी जिंदगी भी नहीं रूकनी चाहिए, सदा आगे बढ़ते चलो, यकीनन अनेक नये कदमों और हाथों का साथ मिलता रहेगा, मगर पीछे पलटकर मत देखना, क्या छूट गया, बस आगे बढ़ते रहो, फ़िर एक दिन तुम्हारी हार-जीत ही, तुम्हारे इर्द-गिर्द लोगों की मौजूदगी कितनी होगीं, ये तय करेगी.... #177thquote #aesthetic #aestheticthought