सुबह से ये बदली बदहवास बरस रही, तड़प रही है, रो रही है। क्या इसे भी कोई सदमा लगा है? क्या इसे भी कोई इसका अपना बीच राह में अकेले छोड़ गया है? इसके आंसू रोके नहीं रुक रहे सिसकती है थोड़ा फिर कम रोती है। फिर न जाने क्या याद करती है, फिर बेइंतेहा रोती है। क्यों किसी को कोई रुलाता है? अगर नहीं बस की तो झूठे सपने क्यों दिखलाता है? मोहब्बत की राह में कुछ देर साथ चलता है, फिर बिना कुछ बताए साथ छोड़ जाता है। ये बदली न जाने कब तक ऐसे ही रोती रहेगी, अपने दामन को दुःखों से भिगोती रहेगी? ~हिलाल हथरवी . ©Hilal Hathravi #Baadal #Barsaat #Ansoo #mohabbat #Raah #Akele