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#OpenPoetry आखिर ज़माने का कहा मान लिया मैने , उसके

#OpenPoetry आखिर ज़माने का कहा मान लिया मैने ,
उसके खत उसकी तस्वीर उसके गुलाब सब जला दिया मैने | 

आग लगी है सीने में और मुस्कुरा रहे है मेरे लब,
तुम्हारी ही तरह जीना देखो सिख लिया मैने |

वो रग रग में है मौजूद और मैं भूल गया हु उसे,
कितना साफ़ झूठ बोलना देखो सिख लिया मैने |

अब जलता हु सुलगता हु आग पिता हु मैं,
घर की रोशनी के लिए अपना ख्वाब फूंक दिया मैने |

कांटे ही मुक़द्दर में थे मेरे इस गुलशन में तेरे,
तेरी राजी में राजी रहना खुदा सिख लिया मैने |

इश्क़ विष्क कहा था बस तक़ाज़ा था वक़्त क़ा, 
ये खंजर भी अपने सीने पर आज मार लिया मैने।।।। ye khanjar bhi apne sine....
#OpenPoetry आखिर ज़माने का कहा मान लिया मैने ,
उसके खत उसकी तस्वीर उसके गुलाब सब जला दिया मैने | 

आग लगी है सीने में और मुस्कुरा रहे है मेरे लब,
तुम्हारी ही तरह जीना देखो सिख लिया मैने |

वो रग रग में है मौजूद और मैं भूल गया हु उसे,
कितना साफ़ झूठ बोलना देखो सिख लिया मैने |

अब जलता हु सुलगता हु आग पिता हु मैं,
घर की रोशनी के लिए अपना ख्वाब फूंक दिया मैने |

कांटे ही मुक़द्दर में थे मेरे इस गुलशन में तेरे,
तेरी राजी में राजी रहना खुदा सिख लिया मैने |

इश्क़ विष्क कहा था बस तक़ाज़ा था वक़्त क़ा, 
ये खंजर भी अपने सीने पर आज मार लिया मैने।।।। ye khanjar bhi apne sine....