न mujhe फिक्र कल की है न आज का डर है m पीर फकीर सा शहर अजीब सा गलियों में झाँकता हूँ रोज यूँ ही भागता हूँ तंग लीबाजो में मिल जाएगी सिसकियाँ दरवाजो में बस रोशनदान से झाँकता हूँ आपनी मौज मनाता हूँ कोई मरे कोई जीए मुझे परवाह नही बस अपनी खैर मनाता हूँ मैं हर मौत के बाद मुस्कुराता हूँ मैं सरहद का वो कोना हूँ जो अपने नाम पर जो लाश बिछाता हूँ खूँ का प्यासा स्वाभिमान की आस हूँ मैं अपनो की तालाश में एक जिंदा लाश हूँ कभी मुल्क कभी सरहद तो कभी इतिहास हूँ #NojotoQuote