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चेहरे पे रोशनी होंठों पे मुस्कान है, लगता है वो खु

चेहरे पे रोशनी होंठों पे मुस्कान है, लगता है वो खुशनसीब इश्क़ से अंजान है।
ओरो को दिखता है हमें नहीं, हमारे अन्दर भी एक शैतान है।
अब भी जिंदा हूं में कैसे, ये देख मौत भी हैरान है।
सफर कर लो चाहे जैसे मर्ज़ी खुद की, मंज़िल सबकी शमशान है। #revisionnotdone #tryingtowrite
चेहरे पे रोशनी होंठों पे मुस्कान है, लगता है वो खुशनसीब इश्क़ से अंजान है।
ओरो को दिखता है हमें नहीं, हमारे अन्दर भी एक शैतान है।
अब भी जिंदा हूं में कैसे, ये देख मौत भी हैरान है।
सफर कर लो चाहे जैसे मर्ज़ी खुद की, मंज़िल सबकी शमशान है। #revisionnotdone #tryingtowrite