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भारतीय संस्कृत में पेड़ों का अपना महत्व यदि भारतीय

भारतीय संस्कृत में पेड़ों का अपना महत्व यदि भारतीय संस्कृति के अनुसार गौर करें तो पता चलेगा कि पेड़ों में पूजनीय उनको ईश्वर का दर्जा देने के साथ ही आयुर्वेद में भी उनका भरपूर स्माल होता है इसलिए आज के बाद करें तो यह ज्ञात होता है कि 1970 में पहली बार पृथ्वी को बचाने की मुहिम शुरू की गई हालांकि ताज्जुब की बात यह भी है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं वायु प्रदूषण फैला कर इन आयोजनों पर लाखों करोड़ों के खर्च किए जाते हैं फिर बाद आवरण हित में निर्णय लिया जाता है इस बात की उससे अनजानी नहीं है पहले हम सब पेड़ को काटकर पेपर बनाते हैं और फिर उसी पेपर से यह ज्ञान दिया जाता है कि वृक्षों को बचाना चाहिए आज पेड़ लगाना एक शोभा और आकर्षक का केंद्र बन चुका है यही कारण है कि जब कोई नई शुरुआत होती है तो फिर किसी देश की राष्ट्रीय अध्यक्ष आते हैं या जाते हैं तो पौधों को लगाकर भी नई मिसाल पेश करते हैं

©Ek villain #पेड़ों का महत्व हमारे जीवन में

#EarthDay
भारतीय संस्कृत में पेड़ों का अपना महत्व यदि भारतीय संस्कृति के अनुसार गौर करें तो पता चलेगा कि पेड़ों में पूजनीय उनको ईश्वर का दर्जा देने के साथ ही आयुर्वेद में भी उनका भरपूर स्माल होता है इसलिए आज के बाद करें तो यह ज्ञात होता है कि 1970 में पहली बार पृथ्वी को बचाने की मुहिम शुरू की गई हालांकि ताज्जुब की बात यह भी है कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं वायु प्रदूषण फैला कर इन आयोजनों पर लाखों करोड़ों के खर्च किए जाते हैं फिर बाद आवरण हित में निर्णय लिया जाता है इस बात की उससे अनजानी नहीं है पहले हम सब पेड़ को काटकर पेपर बनाते हैं और फिर उसी पेपर से यह ज्ञान दिया जाता है कि वृक्षों को बचाना चाहिए आज पेड़ लगाना एक शोभा और आकर्षक का केंद्र बन चुका है यही कारण है कि जब कोई नई शुरुआत होती है तो फिर किसी देश की राष्ट्रीय अध्यक्ष आते हैं या जाते हैं तो पौधों को लगाकर भी नई मिसाल पेश करते हैं

©Ek villain #पेड़ों का महत्व हमारे जीवन में

#EarthDay
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Ek villain

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#पेड़ों का महत्व हमारे जीवन में #EarthDay #Society