नज़रिया अच्छा , कहा क्या आपने, इस इमारत के आखिरी कमरे में, जो 'तम' से भरा है, 'सन्नटा' पसरा है यहां। (पूरी कविता captions में है -read and review pls) नज़रिया अच्छा , कहा क्या आपने, इस इमारत के आखिरी कमरे में, जो 'तम' से भरा है, 'सन्नटा' पसरा है यहां। दिलों को भेदती- दिमागी नसों को सुन्न करती,