अपने ही घर में खड़ी दीवार नहीं होती, रिश्तो में आई जो यु दरार नहीं होती। आती आँगन तितलियाँ भी खेलने गुलों से, सोच अपनी जो इतनी बीमार नहीं होती। कुछ अच्छाइयां होती है तो कुछ बुराइयां, अपने मुताबिक कोई सरकार नहीं होती। वही खाता है जिंदगी में ठोकरे यारों, वक़्त के मुताबिक जिसकी रफ़्तार नहीं होती।