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बेइश्क बेइंतहां हर घड़ी आलम-ए-तन्हाई चाहिए। बेसब्र-

बेइश्क बेइंतहां हर घड़ी आलम-ए-तन्हाई चाहिए।
बेसब्र-ए-बेख़बर बेफ़िक्र पासबाँ वो होना चाहिए। 

बेसब्र बेफ़िक्र जिसका ज़िक्र बेशक़ होना चाहिए।
ख़ामोश हर वक्त कहा नही इज़्तिराब कोई ना हो।

जाने अनजाने हर घड़ी हर पल वजह होना चाहिए।
कोई शक ना हो फितरत में रास्ते पर काँटा तो हो।

वक़्त कीमती ज्यादा हो वही फ़िक्र होना चाहिए।
बेफ़िक्र हर सही समय पर ही "हार्दिक" कोई हो।

©-hardik mahajan पासबाँ / रक्षक
इज़्तिराब / बैचेनी

#poetrylife 

Anshu writer पूजा उदेशी neelu Lalit Saxena
बेइश्क बेइंतहां हर घड़ी आलम-ए-तन्हाई चाहिए।
बेसब्र-ए-बेख़बर बेफ़िक्र पासबाँ वो होना चाहिए। 

बेसब्र बेफ़िक्र जिसका ज़िक्र बेशक़ होना चाहिए।
ख़ामोश हर वक्त कहा नही इज़्तिराब कोई ना हो।

जाने अनजाने हर घड़ी हर पल वजह होना चाहिए।
कोई शक ना हो फितरत में रास्ते पर काँटा तो हो।

वक़्त कीमती ज्यादा हो वही फ़िक्र होना चाहिए।
बेफ़िक्र हर सही समय पर ही "हार्दिक" कोई हो।

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इज़्तिराब / बैचेनी

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@hardik Mahajan

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