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कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें। 👇👇👇👇 राजा प्रतीक कु

कृपया अनुशीर्षक में पढ़ें।
👇👇👇👇  राजा प्रतीक कुरु वंश में हुए थे शांतनु उनके दूसरे पुत्र थे
जब पुत्र की कामना से राजा प्रतीक गंगा के किनारे तपस्या कर रहे थे।

उनके रूप सौंदर्य पर मोहित होकर गंगा उनकी दाहिनी जंघा पर आकर बैठ गई।
गंगा ने अपना परिचय देकर राजा प्रतीक से विवाह करने की इच्छा जताई।

राजा ने गंगा से कहा पत्नी पति की वामांगी होती है और तुम दाहिने बैठी हो।
क्योंकि दाहिनी जंघा पुत्र का प्रतीक है तुम्हें पुत्र वधू के रूप में स्वीकार करता हूं।
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👇👇👇👇  राजा प्रतीक कुरु वंश में हुए थे शांतनु उनके दूसरे पुत्र थे
जब पुत्र की कामना से राजा प्रतीक गंगा के किनारे तपस्या कर रहे थे।

उनके रूप सौंदर्य पर मोहित होकर गंगा उनकी दाहिनी जंघा पर आकर बैठ गई।
गंगा ने अपना परिचय देकर राजा प्रतीक से विवाह करने की इच्छा जताई।

राजा ने गंगा से कहा पत्नी पति की वामांगी होती है और तुम दाहिने बैठी हो।
क्योंकि दाहिनी जंघा पुत्र का प्रतीक है तुम्हें पुत्र वधू के रूप में स्वीकार करता हूं।