// राजू गए हरि लोक // मृत्यु लोक का छोड़ के राजू पहुंचे जब हरि लोक। हरि लोक मा खुशियां छाईं मृत्यु लोक में शोक।। मृत्यु लोक में शोक सभी हैं रोते गाते । अब तक जो हंसते थे आज वो अश्रु बहाते ।। यमलोक फिर चन्द्र गुप्त ने राजू का किया हिसाब। राजू ने भी उन्हें हंसा कर सुन्दर दिया जवाब।। चन्द्र गुप्त ने पूछा तेरा क्या है परिचय। कितने किए हैं पाप या पुण्य किया है संचय।। राजू ने परिचय में अपना नाम बताया। किए जो अब तक काम वो सारे काम गिनाया।। राजू मेरा नाम है हंसाना मेरा काम। जहां पर मां गंगा बहती है वहीं है मेरा धाम।। राजू का परिचय सुन कर यमलोक में खुशियां छाईं। देव लोक से अप्सराएं फिर राजू को लेने आईं।। नर्क-स्वर्ग में भगदड़ मच गई सब राजू राजू चिल्लाए। आओ देखो राजू भइया हम सबको हंसाने आए।। सब राजू को खींच रहे कौन उन्हें ले जाए। नर्क-स्वर्ग में छिड़ी लड़ाई राजू यहां पर आए।। तब श्री हरि ने आदेश दिया राजू जी यहां रहेंगे। यहीं से तीनों लोकों को रोज हंसाया करेंगे।। ©Shivkumar #SunSet #Poetry #kavitahindi #kavita #Nojoto