जब से हवा चली है मुहब्बत की बहुत कुछ बिखर चुका है घर की फर्श पर धूल है; मेज पर धूल है; सेज पर धूल है; किताबों पर धूल है; ख्वाबों पर धूल है, मुरझाया हुआ हर फूल है। नहाना भूल गया; खाना भूल गया। अब कुछ करने का मन नहीं करता; अब मन किसी से नहीं डरता! ...✍विकास साहनी ©Vikas Sahni #तूफान_ए_मुहब्बत #SongOfLove