मन के मुताबिक़ चलते नहीं दिखते। शुरुआती दौर के वादे नहीं दिखते। दिल बिछा कर रहते थे जो राह में! वो मुस्काते तो ख़ुद ही नहीं दिखते। कोई दिल लेकर दर्द दे गया उनको। मासूम तो थे पर नादान नहीं दिखते। कितनी दरारें पड़ गईं अब रिश्तों में! कोई भी किसी के सहारे नही दिखते। हाँ अहंकार के फूल फलते दिखते हैं। 🎀 Challenge-228 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 9 पंक्तियों में अपनी रचना लिखिए।