सोचती हूँ इंतजार करूँ तुम्हारा जब तक मेरे कहे शब्द सही अर्थ के साथ तुम तक संप्रेषित न हो जाएँ, फिर याद आया व्यर्थ ही है। कयोंकि तुम को मुझसे जोड़ने वाला पुल ना जाने कब का टूट चुका है। #इंतजार